कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में 'मेक इन इंडिया' के तहत बने वेंटिलेटर बेहतर तरीके से काम नहीं कर रहे। ये रिपोर्ट आधारहीन और गलत हैं। इन रिपोर्टों में मामले की तथ्यपूर्ण और पूरी जानकारी नहीं दी गई है।
पिछले साल महामारी की शुरुआत में देशभर के सरकारी अस्पतालों में बहुत सीमित संख्या में वेंटिलेटर उपलब्ध थे। इसके अलावा, देश में वेंटिलेटर का बहुत सीमित निर्माण हो रहा था और विदेशों में अधिकांश आपूर्तिकर्ता भारत को बड़ी मात्रा में वेंटिलेटर की आपूर्ति करने की स्थिति में नहीं थे। ऐसा तब है जब स्थानीय निर्माताओं को देश की विशाल अनुमानित मांग और उन पर दिए गए आदेशों को पूरा करने के लिए "मेक इन इंडिया" वेंटिलेटर का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया गया था। उनमें से कई पहली बार वेंटिलेटर का निर्माण कार्य कर रहे थे। वेंटिलेटर मॉडल एक कठोर परीक्षण की प्रक्रिया से गुजरे, उपलब्ध बेहद सीमित समय में ये तकनीकी प्रदर्शन और नैदानिक सत्यापन प्रक्रिया से भी गुजरे। इस तकनीक के विशेषज्ञों की मंजूरी के बाद ही इन वेंटिलेटर्स को सप्लाई के लिए भेजा गया।
कुछ राज्य ऐसे हैं जिन्हें वेंटिलेटर प्राप्त हुए हैं लेकिन अभी तक इन्होंने अपने अस्पतालों में इन्हें स्थापित नहीं किया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने 11 अप्रैल 2021 को ऐसे सात राज्यों को पत्र लिखा है, जिनके पास अभी भी पिछले 4-5 महीनों से 50 से अधिक वेंटिलेट बिना इस्तेमाल किए पड़े हैं। उनसे इंस्टालेशन में तेजी लाने का अनुरोध किया गया है ताकि वेंटिलेटर्स को अधिकतम उपयोग में लाया जा सके।
ज्योति सीएनसी द्वारा निर्मित वेंटिलेटर की आपूर्ति औरंगाबाद मेडिकल कॉलेज को की गई थी। ज्योति सीएनसी 'मेक इन इंडिया' वेंटिलेटर निर्माताओं में से एक है। उन्होंने एम्पावर्ड ग्रुप-3 के निर्देशों के अनुसार, कोविड-19 प्रबंधन के लिए केंद्रीय रूप से वेंटिलेटर की आपूर्ति की है। ये वेंटिलेटर राज्यों द्वारा किए गए अनुरोधों के अनुसार उन्हें उपलब्ध कराए गए थे। इनके सप्लायर को भुगतान पीएम केयर्स फंड के तहत नहीं किया गया है।
औरंगाबाद मेडिकल कॉलेज में ज्योति सीएनसी द्वारा 150 वेंटिलेटर्स की आपूर्ति की गई थी। 100 वेंटिलेटर की पहली खेप 19 अप्रैल 2021 को औरंगाबाद पहुंची थी और उसके बाद राज्य के अधिकारियों से प्राप्त आवंटन के अनुसार इन्हें इंस्टॉल किया गया था। पहले लॉट में 100 में से 45 वेंटिलेटर्स मेडिकल कॉलेज में स्थापित किए गए थे। इन सभी वेंटिलेटरों के संबंध में इंस्टॉलेशन और सफल कमीशनिंग प्रमाण पत्र अस्पताल अधिकारियों द्वारा उनके सफल कमीशन और प्रदर्शन के बाद जारी किया गया था।
स्थापित किए गए 45 वेंटिलेटरों में से तीन को राज्य के अधिकारियों द्वारा एक निजी अस्पताल (सिग्मा अस्पताल) में पुनः स्थापित किया गया था। इन्हें फिर से उक्त निजी अस्पतालों में ज्योति सीएनसी के इंजीनियरों द्वारा स्थापित किया गया। अस्पताल के अधिकारियों द्वारा उनके सफल कमीशनिंग और प्रदर्शन के बाद ही इंस्टॉलेशन और कमीशनिंग प्रमाण पत्र जारी किया गया था।
राज्यों के अधिकारियों द्वारा उपरोक्त 45 में से 20 वेंटिलेटर को दूसरे निजी अस्पताल (एमजीएम अस्पताल) में स्थानांतरित कर दिया गया। इस बारे में ज्योति सीएनसी को कोई औपचारिक जानकारी नहीं दी गई। इसलिए इन वेंटिलेटरों को फिर से लगाने में ज्योति सीएनसी इंजीनियरों की कोई भूमिका नहीं थी। इन वेंटिलेटरों की स्थापना नए स्थान पर राज्य के अधिकारियों द्वारा अपनी जिम्मेदारी पर की गई थी।
पहली किश्त के 55 वेंटिलेटरों को अन्य स्थानों (जैसे बीड, उस्मानाबाद, परभणी और हिंगोली के सिविल अस्पताल) में ले जाया गया। 50 वेंटिलेटरों के लिए इंस्टालेशन और कमीशन सर्टिफिकेट उनके सफल कमीशनिंग और प्रदर्शन के बाद संबंधित अस्पताल अधिकारियों द्वारा जारी किए गए थे। बीड सिविल अस्पताल में पांच वेंटिलेटर अभी भी बिना इंस्टॉल हुए पड़े हैं जो अस्पताल अधिकारियों के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं।
50 वेंटिलेटरों की दूसरी खेप औरंगाबाद मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 23 अप्रैल 2021 को भेजी गई थी। अधिकारियों द्वारा निजी अस्पताल (सिग्मा अस्पताल) में केवल 02 वेंटिलेटर लगाए गए थे। इन 02 वेंटिलेटरों के लिए स्थापना और कमीशनिंग प्रमाण पत्र भी संबंधित अस्पताल अधिकारियों द्वारा उनके सफल कमीशन और प्रदर्शन के बाद जारी किए गए हैं। गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, औरंगाबाद में पैक पड़े 48 वेंटिलेटर की स्थापना के लिए ज्योति सीएनसी और एचएलएल को निर्देशों का इंतजार है।
23 अप्रैल को (अर्थात जीएमसी औरंगाबाद में अस्पताल के अधिकारियों को वेंटिलेटर की सफल स्थापना के 04 दिन बाद, एक शिकायत टेलीफोन पर मिली थी जिसमें बताया गया था कि 8 वेंटिलेटर काम नहीं कर रहे थे। इंजीनियरों ने साइट पर जाकर पाया कि अस्पताल द्वारा तीन वेंटिलेटर में फ्लो सेंसर स्थापित नहीं किया गया था। सभी 8 को वेंडर के सर्विस इंजीनियरों द्वारा पुनर्गठित किया गया था। एक वेंटिलेटर में ऑक्सीजन सेल थी जो काम नहीं कर रही थी। एक ताजा ऑक्सीजन सेल को फिर से स्थापित किया गया और इस वेंटिलेटर को भी कार्यात्मक बनाया गया और बाद में चालू किया गया।
ज्योति सीएनसी को 10 मई, 2021 को एक कॉल आया जिसमें बताया गया कि आईसीयू में दो वेंटिलेटर का उपयोग किया गया है। इनमें से, एनआईवी (नॉन-इनवेसिव (BiPAP) मोड) पर एक, रोगी का सेचुरेशन सुनिश्चित करने में सक्षम नहीं है। अधिकारियों ने कहा कि आईसीयू के बाहर इसकी जांच की जा सकती है। सर्विस इंजीनियरों की टीम द्वारा इसकी जांच की गई और कार्यात्मक स्थिति में पाया गया और अस्पताल के अधिकारियों को संतुष्ट करने के बाद टीम वापस लौट गई। इसे एनआईवी मोड पर 12 मई 2021 की रात एक मरीज पर फिर से चालू किया गया। 13 मई की दोपहर को ज्योति सीएनसी को टेलीफोन पर सूचित किया गया कि वे अधिकतम पीईईपी प्राप्त करने में सक्षम नहीं हैं। तकनीकी टीम ने दोपहर में अस्पताल का दौरा किया। हालांकि, तब तक वही वेंटिलेटर मरीज पर इनवेसिव मोड में डाल दिया गया था। वेंटिलेटर रोगी पर इवेसिव मोड (IV) पर काम कर रहा था और यह पूरी तरह से कार्यात्मक स्थिति में था।
हालांकि, ज्योति इंजीनियरों ने तब उन उपकरणों का बैकअप लिया था जिनसे शिकायत उत्पन्न हुई थी, इसका लॉग लिया गया था और देखा गया कि उपकरण ने लगातार रोगी पर अनुचित मास्क फिटिंग से उत्पन्न होने वाले अत्यधिक रिसाव के चलते अलार्म दिया था। इसे आमतौर पर उचित मास्क साइज और रोगी पर उचित फिटिंग का उपयोग करके सही किया जाता है। यह निष्कर्ष वेंटिलेटर के लॉग के आधार पर निकाला गया है।
सर्विस इंजीनियरों की टीम अभी भी अस्पताल में है और जैसे ही एनआईवी मोड वाले रोगी पर वेंटिलेटर लगाया जाएगा, वे वहां के अस्पताल अधिकारियों को इसे प्रदर्शित करने की स्थिति में होंगे। वर्तमान में वेंटिलेटर को मरीज पर इनवेसिव मोड पर रखा गया है और यह ठीक काम कर रहा है।
इसके बाद जीएमसी अस्पताल औरंगाबाद की इच्छा है कि वहां पहले से स्थापित और चालू किए गए सभी 22 वेंटिलेटर अस्पताल टीम के समक्ष प्रदर्शित और फिर से चालू किए जाएं। ज्योति सीएनसी के इंजीनियरों की टीम द्वारा आज और कल के बीच फिर से यही किया जा रहा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले ही 9 मई 2021 को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र लिखकर वेंटिलेटर निर्माताओं के हेल्पलाइन नंबरों के बारे में सूचित किया था, जो स्टिकर के रूप में वेंटिलेटर पर भी उपलब्ध हैं। इसके अलावा, राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के संबंधित नोडल अधिकारियों, उपयोगकर्ता अस्पतालों के प्रतिनिधियों और रियल टाइम में किसी भी तकनीकी मुद्दे को संबोधित करने के लिए निर्माताओं की तकनीकी टीमों के साथ बनाए गए राज्यवार व्हाट्सएप ग्रुप्स के बारे में फिर से जानकारी प्रदान की गई है। इन निर्माताओं की समर्पित ईमेल आईडी भी राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के साथ साझा की गई है ताकि इस तरह के गलत संचार और तकनीकी गड़बड़ियों को रोका जा सके।
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